बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल को लाभान्वित करेगा पूर्वी जलमार्ग ग्रिड

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?????? ??????? ????? ??????????, ?????, ???? ?? ????? ?? ?????? ?? ???????, ????? 60 ????? ??? ????????? ?????? पूर्वी जलमार्ग ग्रिड बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल की नदियों को जोड़ेगा, जिससे 60 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे।

गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना के विशाल डेल्टा में नदियां परिवहन का सबसे पुराना साधन हैं, जहां कभी इस क्षेत्र के भीतर जलमार्गों का घना जाल 70 प्रतिशत से अधिक माल और यात्रियों का परिवहन करता था। हालांकि, आज, 2 प्रतिशत से भी कम माल जलमार्ग के जरिए ढोया जाता है।

अब, इस डेल्टा को साझा करने वाले दोनों देश, बांग्लादेश और भारत लंबे समय से बंद इन जलमार्गों को पुनर्जीवित कर रहे हैं। भीड़भाड़ भरी सड़कों, कार्बन फुटप्रिंट में बढ़ोतरी और सड़क मार्ग की बढ़ती लागत के कारण, वे हरित और सस्ते विकल्प के लिए क्षेत्र की 3,500 किलोमीटर लंबी जहाज संचालन योग्य नदियों की ओर रुख कर रहे हैं। 

2016 से, जब भारत ने राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम पारित किया, देश ने गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी प्रणालियों को राष्ट्रीय जलमार्ग 1 और 2 के रूप में सक्रिय रूप से विकसित किया है। जहाज संचालन नेटवर्क में 100 से अधिक नए जल मार्ग भी जोड़े गए हैं।

बांग्लादेश में, जहां कुल यात्री यातायात का लगभग एक चौथाई और बल्क कार्गो का 80 प्रतिशत परिवहन नदियों के जरिए होता है, 900 किलोमीटर के अंतर्देशीय जल मार्गों की जहाज संचालन योग्यता में सुधार किया जा रहा है।

पूर्वी जलमार्ग ग्रिड में पूर्वी उपमहाद्वीप के 60 करोड़ लोगों के लिए भारी लाभांश उत्पन्न करके क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं को फिर से जीवंत करने की क्षमता है।

दोनों देशों ने अब नदियों को आपस में जोड़ने और अंतिम गंतव्य तक पहुंचने के लिए उन्हें सड़क और रेल से जोड़ने के अपने कई निजी निवेशों को एक व्यापक 'पूर्वी जलमार्ग ग्रिड' के रूप में समेकित करने का प्रस्ताव किया है।

ग्रिड में पूर्वी उपमहाद्वीप के 60 करोड़ लोगों, जिनमें से कई दक्षिण एशिया के सबसे गरीब लोगों में शुमार हैं, के लिए भारी लाभांश उत्पन्न करके क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं को फिर से जीवंत करने की क्षमता है।

मौजूदा नेटवर्क पर आधारित

ग्रिड जलमार्गों की श्रृंखला - भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट्स (आईबीपी) के मौजूदा नेटवर्क - पर आधारित है जिसका उपयोग दोनों देश ट्रांजिट रूट के रूप में या एक-दूसरे के साथ व्यापार करने के लिए कर सकते हैं। वर्तमान में, अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार के लिए भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल के तहत 10 आईबीपी मार्ग निर्धारित किए गए हैं। लंबे समय से चले आ रहे इस प्रोटोकॉल पर पहली बार 1972 में हस्ताक्षर किए गए थे और आखिरी बार 2015 में इसका नवीनीकरण किया गया था। 

भारत इन मार्गों का उपयोग अपने अलग-थलग पूर्वोत्तर राज्यों से और वहां तक माल को 'चिकन नेक' मार्ग के मुकाबले कहीं अधिक तेजी से और सस्ते में लाने के लिए करता है। चिकेन नेक जमीन का एक संकरा खंड है जो 1,600 किमी सड़क मार्ग से एक लंबी और कठिन यात्रा के जरिए पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।

सबसे व्यस्त आईबीपी मार्ग ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़ा है, जिससे नौकाएं बजरे भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से चूना पत्थर, सिलिकॉन, पेट्रोलियम और चाय देश के बाकी हिस्सों में ले जाते हैं। बजरे कोलकाता या हल्दिया बंदरगाह पहुंचने के लिए भारत के पानी में फिर से प्रवेश करने से पहले असम में धुबरी में नदी के बांग्लादेश के हिस्से में प्रवेश करते हैं। (बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र नदी को जमुना के नाम से जाना जाता है)। शेष भारत से पूर्वोत्तर राज्यों में आवश्यक आपूर्ति करने वाले मालवाहक जहाज दूसरे मार्ग से भी यात्रा करते हैं।

Map of Waterway

 

यह मार्ग पेट्रोपोल-बेनापोल सीमा के जरिए सड़क मार्ग से कहीं अधिक तीव्र और सस्ता है। पेट्रोपोल-बेनापोल सीमा दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा चेक प्वाइंट है जहां ट्रकों को सीमा पार करने के लिए कई-कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है।

यह परस्पर लाभ की स्थिति है। भारत अपने पूर्वोत्तर राज्यों के साथ बेहतर संपर्क हासिल करता है जबकि बांग्लादेश बंदरगाह शुल्क, कार्गो हैंडलिंग और अन्य सेवाओं से राजस्व अर्जित करता है।

बंदरगाह विहीन देश नेपाल और भूटान भी बांग्लादेश और भारत के साथ-साथ बंगाल की खाड़ी के बंदरगाहों तक आसान पहुंच हासिल करने के लिए जलमार्ग की क्षमता का उपयोग करना शुरू कर रहे हैं। भूटान बांग्लादेश को निर्माण उद्योग में उपयोग के लिए कंकड़ी निर्यात करने के लिए पहले से ही जलमार्ग का उपयोग कर रहा है।

अपार संभावनाएं

जल मार्ग से थोक माल के परिवहन की लागत सड़क मार्ग के मुकाबले महज 20 प्रतिशत होने से, पूर्वी जलमार्ग ग्रिड पूर्वी उपमहाद्वीप में व्यापार को बढ़ावा देने में मदद करेगा। विश्व बैंक का अनुमान है कि विश्व में पांचवीं सबसे लंबी सीमा साझा करने के बावजूद, भारत-बांग्लादेश व्यापार अपनी 10 अरब डॉलर की क्षमता से काफी नीचे है।

जलमार्गों को आपस में जोड़ने से कई लाभ होंगे। उदाहरण के लिए, बांग्लादेश का विशाल कपड़ा उद्योग प्रतिस्पर्धी कीमतों पर भारत से कपास जैसे कच्चे माल का आयात करने में सक्षम होगा। और, इसके व्यवसायों को भारत के विशाल घरेलू बाजार तक पहुंच प्राप्त होगी, यहां तक ​​कि गंगा जलमार्ग से इलाहाबाद और वाराणसी तक मालवाहक जहाज का संचालन भी मिलेगा।

भारत की ओर से, उद्योग बांग्लादेश में विनिर्माण क्षेत्रों तक पहुंच बनाने में सक्षम होंगे, जिससे कुछ वस्तुओं पर सड़क परिवहन लागत में 10 से 15 प्रतिशत की बचत होगी।

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बांग्लादेश में ढाका के बाहर पनगांव नदी बंदरगाह पर खड़े कंटेनर जहाज। पनगांव अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार के लिए भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल के तहत एक निर्दिष्ट बंदरगाह है।

इसके अलावा, जल परिवहन में सुधार के परिणामस्वरूप से जलमार्गों के किनारे टर्मिनलों, जेटी, कंटेनर डिपो और भंडारण सुविधाओं की स्थापना होगी, नई नौकरियां सृजित होंगी, सहायक उद्योगों के विकास को गति मिलेगी और सीमा के दोनों तरफ हरित आर्थिक क्षेत्रों के विकास को गति मिलेगी।

और, एक बार जब इन अंतर्देशीय जलमार्गों को तटीय नौवहन से जोड़ दिया जाएगा, तो म्यांमार, सिंगापुर और थाईलैंड के साथ नए वाणिज्यिक गलियारे उभरने की संभावना है, जिससे पूरे क्षेत्र में कई प्रभावों की एक श्रृंखला उत्पन्न होगी। 

भारत और बांग्लादेश दोनों ही ग्रिड के विकास के इच्छुक हैं। बांग्लादेश के नौवहन सचिव मोहम्मद मेज़्बाह उद्दीन चौधरी ने कहा, "भारत के साथ प्रोटोकॉल मार्गों को पुनर्जीवित करने, आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना और अन्य नदी कार्यों समेत एक आर्थिक गलियारा विकसित करना हमारी सरकार की प्राथमिकता है।"

भारत के बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव संजीव रंजन ने लोगों के लिए संभावित लाभों पर जोर देते हुए कहा, "भारत और बांग्लादेश को यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है कि जलमार्गों से मिलने जा रहे परिवहन के आसान तरीके में इन निवेशों का लाभ लोगों तक पहुंचे और इसके परिणामस्वरूप वे समृद्ध हों।”

हाल ही में 'मैत्री सेतु' या भारत-बांग्लादेश मैत्री पुल का उद्घाटन सही दिशा में एक कदम है। दोनों देशों को अब निर्बाध जलमार्ग संपर्क के लिए छोटी-मोटी बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है। इसमें उपयोगकर्ता के विश्वास को बढ़ावा देने के लिए द्विपक्षीय प्रोटोकॉल समझौतों को बढ़ाना, जहाज संचालन के मानकों और परिचालन प्रोटोकॉल में सामंजस्य और एकरूपता को बढ़ावा देना और सीमा शुल्क निकासी के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाना शामिल है।

 
Work on the Eastern Waterways Grid received support from the South Asia Water Initiative, a trust fund supported by the United Kingdom’s Foreign, Commonwealth and Development Office, Australia’s Department of Foreign Affairs, and Norway. In addition, the World Bank is providing technical and financial assistance to the Inland Waterways Authority of India (IWAI) to augment navigation on the Haldia-Varanasi stretch of NW1 on the Ganga river. It is also supporting the development of the Dhaka-Chattogram waterways in Bangladesh.

Authors

नताल्या स्टैनकेविच

वरिष्ठ परिवहन विशेषज्ञ

एरिक नोरा

सीनियर ऑपरेशंस ऑफिसर, दक्षिण एशिया परिवहन एवं क्षेत्रीय एकीकरण

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